नेतन्याहू ने क़तर से माफी मांगी (Why Netanyahu apologized to Qatar)

 


नेतन्याहू ने क़तर से माफी क्यों मांगी (Why Netanyahu apologized to Qatar)

सितंबर 2025 में, इस्राइल ने दोहा, क़तर में एक हवाई हमला किया जिसमें हमास (Hamas) नेताओं को निशाना बनाया गया। इस हमले में एक क़तरी सुरक्षा अधिकारी की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हुए। 

क़तर की सरकार ने इस हमले को “संप्रभुता का उल्लंघन” बताया और इस घटना ने मध्य पूर्व में कूटनीतिक तनाव को बढ़ा दिया। 

क़तर अक्सर हमास और मध्य पूर्व संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाता रहा है। इसलिए क़तर के साथ संबंध तोड़ना या कड़ी प्रतिक्रिया देना इस्राइल के लिए महंगा पड़ सकता था। 






माफी का फोन कॉल — 

  • 29 सितंबर 2025 को, नेतन्याहू ने वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठक के बाद क़तर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया और माफी व्यक्त की। 

  • माफी में कहा गया कि इस्राइल को खेद है कि उसका हवाई हमला अनजाने में क़तरी नागरिकों को प्रभावित कर गया, और इस तरह की कार्रवाई दोबारा नहीं होगी।

  • इस कॉल को ट्रम्प ने मध्यस्थता करते हुए कराया, ताकि  बीना विवाद और कूटनीतिक तनाओ को स्‍थिरता मिले। 


माफी का महत्व और इसके पीछे रणनीति

  1. कूटनीतिक दबाव हल करना                                                                                      क़तर ने स्पष्ट किया था कि वह इस्राइल के हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा और मध्यस्थता भूमिका से पीछे हट सकता है। माफी देने से इस्राइल यह दिखाना चाहता था कि वह गलती स्वीकार कर रहा है और आगे की कूटनीति को प्राथमिकता देगा। 

  2. मध्यस्थ की भूमिका बचाना                                                                                      क़तर अक्सर इस्राइल-हमास वार्ता में एक महत्वपूर्ण दावेदार और संवाद पुल रहा है। अगर क़तर इस भूमिका से हट जाता, तो वार्ता के चैनल कमजोर हो सकते थे। माफी देकर इस्राइल ने यह संकेत दिया कि वह क़तर को प्रक्रिया में रखना चाहता है। 

  3. आक्रामक रुख से कुछ संतुलन दिखाना-                                                                        इस्राइल के इस तरह के हमले को विश्व स्तर पर आलोचना मिली थी। माफी देकर नेतन्याहू एक नरम रूख अपनाने का संकेत दे सकते हैं। 

  4. आंतरिक राजनीति एवं विरोध-                                                                                                         इस माफी के फैसले की आलोचना इस्राइल की आस्था-पक्षपाती शक्तियों ने की है। कुछ मंत्रियों ने इसे “कमजोर पन” कहा — उन्होंने कहा कि यह इस्राइल के आत्मविश्वास को कमजोर करता है। 

निष्कर्ष

नेतन्याहू की यह माफी सिर्फ एक भावनात्मक कदम नहीं था — यह रणनीतिक कूटनीति का हिस्सा था।
यह संदेश देने का प्रयास था कि –

  • इस्राइल अपनी गलती स्वीकार कर सकता है,

  • क़तर के साथ संवाद बनाए रखना चाहता है,

  • और मध्य पूर्व संघर्ष में कूटनीति को प्राथमिकता देना चाहता है।

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